एक प्रेरणादायक कहानी हिंदी में, एक ऐसी कहानी जिसे एक
बार पढ़ लेने के बाद आप की जिंदगी में बहुत positive change आजायेगा.
चाहे आप छोटे
बच्चे हों, बहुत यंग हो छात्र हों या व्यापारी हो मैं आज जो स्टोरी आपके साथ शेयर करने
जा रहा हूँ अगर इसे आपने Cool Mind के साथ अपने
दिमाग में बैठा लिया तो ग्यारंटी है कि आपकी लाइफ पहले से बेहतर हो जाएगी बदल
जाएगी,आप
एक सफल व्यक्ति, कामयाब इन्सान बन जायेंगे.
ये Motivational Story in Hindi, स्टोरी है एक ऐसे शख्स कि जिस पर बहत से लेखकों ने छोटी बड़ी किताबे लिखी
है और इन्टरनेट पर मोजूद कुछ भरोसेमंद वेबसाइट पर ये जानकारी आपको मिल जाएगी.
एक शख्स जिसका
नाम लास्ट में बताया जायेगा, पहये इस शख्स के काम कि यानी कारनामे कि बात करते हैं.
केपटाउन की
मेडिकल university को मेडिकल कि दुनिया में एक खास मुकाम
हासिल है,
दुनिया का सबसे पहला बाई पास आपरेशन इसी university में हुआ था.
आप को ये जानकर
बड़ी हैरानी होगी कि इसी university ने एक ऐसे इन्सान को “Master of Medicine” की डिग्री दी जिसके बारे में ये कहा जाता
है कि वो बहुत कम पढ़ा लिखा है या कभी स्कूल गया ही नहीं और ना ही इंग्लिश पढ़ना
जनता है.
जिसके बारे में
प्रोफेसर डेविड डेंट ने कहा था कि हम एक ऐसे शख्स को मेडिसिन कि मास्टर डिग्री दे
रहे है जिसने दुनिया में सबसे ज्यादा सर्जन पैदा किये. जिसने मेडिकल साइंस और
वैज्ञानिको को हैरान कर दिया.
ये शख्स केपटाउन
से दूर एक छोटे से गांव में रहता था, ये चरवाहे यानी भेड़ बकरियों को चराने वाले
एक गरीब परिवार का बच्चा था. एक दिन इनके पिताबहुत बीमार हो गए तो फिर छोटी सी
उम्र में ही इनके कंधो पर कमाने का बोझ आ गया और ये काम करने के लिए केपटाउन आ गए,
यहाँ केपटाउन university का construction का काम चल रहा था या इन्हें मजदूरी का
काम मिल गया कुछ सालों बाद जब ये मेडिकल university बन कर कम्प्लीट हो गई तब फिर इन्हें इस universityके गार्डन में घांस काटने यानि माली कि
नोकरी मिल गई, कुछ साल गुजरने के बाद फिर अचानक से इनकी ज़िन्दगी में एक ऐसा चेन्ज आया
जहाँ से ये मेडिकल कि दुनिया के उस स्तर पर पहुँच गए जहां आज तक कोई नहीं पहुँच
पाया.
हुआ ये की
केपटाउन की मेडिकल univercity के प्रोफेसर रोबर्ट जो कि जिराफ के बारे में ये रिसर्च कर रहे थे कि जब
जिराफ पानी पिने के लिए अपनी गर्दन झुकाता है तो बेहोश क्यूँ नही होता है? अब जब ओपरेशन थियेटर में जिराफ को रिसर्च के लिए टेबल पर लिटाया गया तो
प्रोफेसर रोबर्ट और डॉक्टर की टीम को जिराफ को अच्छे से पकड़ने के लिए एक ताकतवर
इन्सान कि ज़रूरत महसूस हुई वो ओपरेशन थियेटर से बहार आये और उन्होंने एक शख्स को
घांस काटते हुए देखा और उसे बुलाया और जिराफ की
गर्दन पकड़ने के लिए कहा ये ओपरेशन तकरीबन 8 घंटों तक चलता रहा, डॉक्टर्स टी और काफी के लिए ब्रेक करते रहे लेकिन ये शख्स अपने काम पर लगा
रहा. अब जब ओपरेशन ख़त्म हो गया तो इन्हें जाने के लिए कह दिया गया लेकिन फिर ये
अपनी ड्यूटी यानी घास काटने के कम को पूरा करने में लग गए.
next डे फिर डॉक्टर ने उन्हें बुला लिया और ये भाई साहब जिराफ कि गर्दन पकड कर
खड़े हो गए और जब ये काम ख़त्म हो जाता तो
फिर बाद में ये अपना काम पूरा करने में लग
जाते ये सब अब इनका रोज़ का रूटीन बन गया.
रोजाना univrsityआने के बाद
ओपरेशन थियेटर में जब किसी जानवर को पकड़ना होता तो ये काम भी करते और घांस काटने
का अपन काम भी करते यानी एक्स्ट्रा टाइम करते डबल काम करते लेकिन तनख्वा एक काम ही
की मिलती थी. लेकिन इस इन्सान ने ये कभी नहीं कहा कि ये मेरा काम नहीं है, मैं ऐसा क्यों करूँ?
अब एक दिन ऐसा
आया कि डॉक्टर बर्नाडकेपटाउन university में इंसानों
के हार्ट ट्रांसप्लांट के ओपरेशन करने लगे, ये साहब जो अब तक
घांस काटने वाले एक माली थे इन्हें अब इस लैब में डॉक्टर बर्नाड का असिस्टेंट बना
दिया गया.
अब इस शख्स की
खूबी ये थी कि वो डॉक्टर के ज़रिये किये जाने वाले ऑपरेशन को बड़ी दिल चस्पी से
देखता ऑपरेशन के बाद टांके लगाने का काम इन्हें दे दियागया एक दिन में कई कई
मरीजों के ऑपरेशन होते और ये बड़ी गौर से इन ओपरेशन को देखते और बड़ी सफाई के साथ
टांके लगाते देखते ही देखते इनका एक्स्प्रीयेंस इतना बढ़ गया कि फिर इन्हें
जूनियर्स डॉक्टर्स को ट्रेनिंग देना का काम दे दिया गया.
इस शख्स ने कभी
मेडिकल थ्योरी नहीं पढ़ी थी लेकिन ये अब एक बेस्ट सर्जन बन चूका था.
अब लाइफ में फिर
एक ज़बरदस्त टर्न आया १९७० में जब लीवर पर रिसर्च शुरू की गई तो ऑपरेशन के वक्त
डॉक्टर्स को इन्होने लीवर के बारे में एक ऐसा पॉइंट बताया ऐसी जानकारी दी जीसे
लीवर ट्रांसप्लांट काफी इजी होगया, इनकी इस जानकारी ने मेडिकल कि दुनिया के
बड़े बड़े वैज्ञानिको को चौंका दिया.
अब जब भी कभी
कोई पेशेंट लीवर ट्रांसप्लांट से ठीक होता है तो इसका श्रेय इन्ही को जाता है.
आखिर वो राज़
क्या था? जिससे ये गरीब घराने का एक मजदूर एक सफल सर्जन बन गया.
वो इस शख्स कि
कड़ी मेहनत और लगन थी, कहा जाता है कि 50 साल तक इस शख्स ने केपटाउन University में काम किया लेकिन कभी छुट्टी नहीं
बनाई, टाइम के बड़े ही पाबन्द थे, ये ऑपरेशनथियेटर में कभी
5 मिनट तक लेट नहीं पहुंचे लोग इनके आने जाने को देखर अपनी घड़ी के टाइम को सेट
करते थे. इन्होने अपनी सेलरी बढ़ाने को लेकर कभी को शिकायते नहीं की काम के टाइम
में कमी की कोई बात नहीं की इसीलिए इन्हें अपनी लाइफ में सफलता का कामयाबी का वो
मुकाम मिला जिसमे पैसा और शौहरतकी कोई कमी नहीं थी.
एक हाँ जिसने
उसे सफल इन्सान बना दिया जब वो अपने घास काटने के काम में लगा हुआ था और उसे
प्रोफेसर रोबर्ट ने जिराफ कि गर्दन पकड़ने के लिए बुलाया तब अगर ये साहब कह देते कि
जनाब मैं तो एक माली हूँ मेरा काम सिर्फ घांस काटना है तो अफ्रीका में पैदा हुए ये
साहब जिनका नाम हैमिलटन नाकि है माली ही रहते ज़िन्दगी में कभी सर्जन नहीं बनते, कामयाब नहीं होते.
दोस्तों, हर बेड़े कम कि शुरुआत छोटे काम से ही होती है बस ज़रूत होती है
कड़ी मेहनत और लगन की.